हजारों के हजार किलोमीटर की यात्रा कर ये गुजरात से बिहार या राजस्थान या अन्य राज्य जा रहे हैं, बच्चों के मासूमियत भरे चेहरे जिनको नही पता है कि कितना चलना है??कब तक चलना होगा?? कैसे सफर कटेगा?? बीच सफर में कितने कष्ट आएंगे?? खाना पानी कब नसीब होगा। कितनी घनघोर अंधियारी रातें कहाँ कहाँ बीतेगी??? घर कब आएगा???
इन तमाम प्रश्नों ने मुझे झकझोर के रख दिया,
*आप इन राह चलतें अति जरूरतमंद लोगों की यथासंभव मदद जरूर करे*, तथा अपने आसपास के गरीबों की सहायता करके मानवीय फर्ज निभायें!
*जो जरूरत के वक़्त गरीबों के संग खङा है, वही इंसानियत की कसौटी पर खरा उतर रहा है!!*
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